Somvati Amavasya: सावन के दूसरे सोमवार के साथ बना है सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग, जानें पूजा मुहूर्त, व्रत कथा विधि सबकुछ
Somvati Amavasya 2023: कल सावन का दूसरा सोमवार है, इस मौके पर सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग बन रहा है. आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा सबकुछ.
(Source: Pexels)
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Somvati Amavasya 2023: श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या (सोमवती अमावस्या) कहा जाता है. रविवार सूर्य देवता कों समर्पित दिन है,भगवन सूर्य को जगत की आत्मा या पिता का कारक भी माना जाता है. अतः इस दिन अमावस्या पड़ने का अर्थ है की यह दिन इनसे सम्बन्धित दोषो को दूर करने के लिए उत्तम है. हमारे शास्त्रो में सूर्य और चंद्रमा को ही दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टो का कारक माना जाता है,अतः यह पूरे वर्ष में एक या दो बार ही पड़ने वाले पर्व का बहुत अधिक महत्त्व माना जाता है. विवाहित स्त्रियों के द्वारा इस दिन पतियों की दीर्घ आयु के लिये व्रत का विधान है. इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान के अध्यक्ष प्रसिद्ध (ज्योतिषाचार्य) गुरूदेव पंडित ह्रदय रंजन शर्मा.
श्रावण सोमवती हरियाली अमावस्या की तिथि
सोमवती हरियाली अमावस्या की तिथि 16 जौलाई 2023 की रात्रि 10 बजकर 08 मिनट से शुरू होगी.और इस तिथि का समापन 17 जौलाई की रात्रि 12 बजकर 01 मिनट पर होगा.
सोमवती अमावस्या पूजा विधि
- इस दिन पवित्र नदियो में स्नान,ब्राह्मण भोज,गौ दान, अन्नदान,वस्त्र,स्वर्ण आदि दान का विशेष महत्त्व माना गया है, इस दिन गंगा स्नान का भी विशिष्ट महत्त्व है.माँ गंगा या किसी पवित्र सरोवर में स्नान कर शिव-पार्वती एवं तुलसी की विधिवत पूजा करें.
- भगवान् शिव पर बेलपत्र, बेल फल,मेवा,मिठाई,जनेऊ का जोड़ा आदि चढ़ा कर ॐ नमः शिवाय की 11 माला करने से असाध्य कष्टो में भी कमी आती है.
- प्रातः काल शिव मंदिर में सवा किलो साबुत चांवल दान करे.
- सूर्योदय के समय सूर्य को जल में लाल फूल,चन्दन डाल कर गायत्री मन्त्र जपते हुए अर्घ देने से दरिद्रता दूर होती है.
- हरियाली अमावस्या को तुलसी के पौधे की ॐ नमो नारायणाय जपते हुए 108 बार परिक्रमा करने से दरिद्रता दूर होती है.
- जिन लोग का सूर्य कमजोर है वो गाय को गुड़ में पकाए गेंहू और चांवल खिलाये अवश्य ही मानसिक शांति मिलेगी.
- मन्त्र जप,साधना एवं दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
- इस दिन स्वास्थ्य, शिक्षा, कानूनी विवाद, आर्थिक परेशानियो और पति-पत्नी सम्बन्धि विवाद के समाधान के लिए किये गए उपाय अवश्य ही सफल होते है.
- इस दिन धोबी-धोबन को भोजन कराने,उनके बच्चों को किताबे मिठाई फल और दक्षिणा देने से सभी मनोरथ पूर्ण होते है.
- हरियाली अमावस्या को भांजा, ब्राह्मण, और ननद को मिठाई, फल,खाने की सामग्री देने से उत्तम फल मिलाता है.
- इस दिन अपने आसपास के वृक्ष पर बैठे कौओं और जलाशयों की मछलियों को (चावल और घी मिलाकर बनाए गए) लड्डू दीजिए. यह पितृ दोष दूर करने का उत्तम उपाय है.
- हरियाली अमावस्या के दिन दूध से बनी खीर दक्षिण दिशा में (पितृ की फोटो के सम्मुख) कंडे की धूनी लगाकर पितृ को अर्पित करने से भी पितृ दोष में कमी आती है.
- हरियाली अमावस्या के समय जब तक सूर्य चन्द्र एक राशि में रहे, तब कोई भी सांसरिक कार्य जैसे-हल चलाना, कसी चलाना, दांती, गंडासी, लुनाई, जोताई, आदि तथा इसी प्रकार से गृह कार्य भी नहीं करने चाहिए.
श्रावण हरियाली (सोमवती अमावस्या) की कथा
एक गरीब ब्रह्मण परिवार था, जिसमे पति, पत्नी के अलावा एक पुत्री भी थी. पुत्री धीरे धीरे बड़ी होने लगी. उस लड़की में समय के साथ सभी स्त्रियोचित गुणों का विकास हो रहा था. लड़की सुन्दर, संस्कारवान एवं गुणवान भी थी, लेकिन गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था. एक दिन ब्रह्मण के घर एक साधू पधारे, जो कि कन्या के सेवाभाव से काफी प्रसन्न हुए. कन्या को लम्बी आयु का आशीर्वाद देते हुए साधू ने कहा की कन्या के हथेली में विवाह योग्य रेखा नहीं है.
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ब्राह्मण दम्पति ने साधू से उपाय पूछा कि कन्या ऐसा क्या करे की उसके हाथ में विवाह योग बन जाए. साधू ने कुछ देर विचार करने के बाद अपनी अंतर्दृष्टि से ध्यान करके बताया कि कुछ दूरी पर एक गाँव में सोना नाम की धूबी जाती की एक महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है, जो की बहुत ही आचार- विचार और संस्कार संपन्न तथा पति परायण है. यदि यह कन्या उसकी सेवा करे और वह महिला इसकी शादी में अपने मांग का सिन्दूर लगा दे, उसके बाद इस कन्या का विवाह हो तो इस कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है.
साधू ने यह भी बताया कि वह महिला कहीं आती जाती नहीं है. यह बात सुनकर ब्रह्मणि ने अपनी बेटी से धोबिन कि सेवा करने कि बात कही. कन्या तडके ही उठ कर सोना धोबिन के घर जाकर, सफाई और अन्य सारे करके अपने घर वापस आ जाती. सोना धोबिन अपनी बहू से पूछती है कि तुम तो तडके ही उठकर सारे काम कर लेती हो और पता भी नहीं चलता. बहू ने कहा कि माँजी मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम ख़ुद ही ख़तम कर लेती हैं. मैं तो देर से उठती हूँ. इस पर दोनों सास बहू निगरानी करने करने लगी कि कौन है जो तडके ही घर का सारा काम करके चला जाता हा.
कई दिनों के बाद धोबिन ने देखा कि एक एक कन्या मुँह अंधेरे घर में आती है और सारे काम करने के बाद चली जाती है. जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी, पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं. तब कन्या ने साधू द्बारा कही गई सारी बात बताई. सोना धोबिन पति परायण थी, उसमें तेज था. वह तैयार हो गई. सोना धोबिन के पति थोड़ा अस्वस्थ थे. उसमे अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा.
सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिन्दूर कन्या की मांग में लगाया, उसके पति गया. उसे इस बात का पता चल गया. वह घर से निराजल ही चली थी, यह सोचकर की रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भँवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी.उस दिन हरियाली अमावस्या थी. ब्रह्मण के घर मिले पूए- पकवान की जगह उसने ईंट के टुकडों से 108 बार भँवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया. ऐसा करते ही उसके पति के मुर्दा शरीर में कम्पन होने लगा.
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